बुधवार 15 जनवरी 2025 - 06:29
शरई अहकाम | अहले-बैत (अ) की खुशी में ताली बजाना

हौज़ा: अहलेए-बैत (अ) की खुशियों के मौकों पर ताली बजाने का क्या हुक्म है?

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, आयतुल्लाहिल उज़्मा खामेनेई ने अहलेबैत (अ) की खुशियों के मौकों पर ताली बजाने के बारे में अपनी राय पेश की है, जिसे हम अपने पाठकों की सेवा में प्रस्तुत कर रहे हैं।

अहल-ए-बैत (अ.स.) की खुशियों के मौकों पर ताली बजाना

सवाल: क्या ऐसी महफिलों में ताली बजाना जायज़ है, जहाँ नबी-ए-अकरम (स) और उनके अहले-बैत (अ) पर दुरूद व सलाम भेजा जाता हो? ख़ासकर ऐसी महफिलें जो इमाम मासूमीन (अ) की विलादत (जन्मदिन) या ईद-ए-वहदत और बेअसत के मौकों पर आयोजित की जाती हैं। और अगर ये महफिलें मस्जिद, नमाज़खाने या हुसैनिया में हों, तो उनका क्या हुक्म है?

जवाब: सामान्य रूप से किसी भी खुशी के मौके पर या प्रोत्साहन के लिए ताली बजाना अपने आप में जायज़ है और इसमें कोई हरज (गुनाह) नहीं है। लेकिन बेहतर यह है कि धार्मिक महफिलों, ख़ासकर मस्जिदों, हुसैनिया और नमाज़खानों में आयोजित कार्यक्रमों को दुरूद और तकबीर से गुंजार दिया जाए, ताकि ज़्यादा सवाब हासिल हो सके।

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